Usha sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -20-Jun-2023

शीर्षक :भोर की लाली....


नव किरणें दुल्हन सी लजाती हैं झाँकती, 
सिंदूरी घूंघट की की ओट से.... 
अलौकिक छवि नभ में उभरती चहुँओर, 
बिफरकर यूँ भोर की लाली से... 
स्वर्ण रश्मियां करती अनुपम श्रृंगार 
अवनि अम्बर प्रभा हर ओर छोर से.. 
प्रकृति कूची से रंगी सिंदूरी रंगत जैसे 
निखरी हो कोई जादुई कोर से... 
हिम शिखरों के स्वर्णिम मुकुट सजे, 
नदी सिंधु लहरें जगमग करें दीप वंदन से.. 
बहे शीतल पवन मौसम में हर्षित हुए
मंदिरों में शंख घंटे नाद मधुर गुंजन से.. 
सुप्त सभी में नव उमंगें जागी,
स्पर्श करती है इन ऊर्जित किरणों से.. 
पंछी मधुर राग गाते उन्मुक्त नभ में उड़े, 
नीड़ अब अपना-अपना छोड़ के... 
हरित तृणों पर झिलमिल शबनम दमके, 
पत्तों से छन छन कर दिखाई देती.. 
बिखरी आभा तंद्रा टूटी
उमंगें बन नवल किरणें 
पल्लवित हो रही हैं मन में...
आओ! कर्म पथ पर सूर्य संग गतिमान हो
 राष्ट्र हित के कुछ मंत्र जप लें, 
त्याग तप का मर्म समझें, 
परमार्थ की राह चुनकर जीवन का सही अर्थ गढ़ लें...! 
© उषा शर्मा ✍️ 



  

 

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6 Comments

Punam verma

21-Jun-2023 07:19 AM

Very nice

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सुन्दर सृजन

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अदिति झा

20-Jun-2023 11:25 PM

Nice one

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